बुधवार, 12 अप्रैल 2017

इतिहास, विरासत और प्रकृति का संगम - नरवर


** नरवर **
"इतिहास, विरासत और प्रकृति का अद्भुत संगम"
(नरवर किले का दृश्य)
नरवर मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिलान्तर्गत एक अत्यंत प्राचीन और ऐतिहासिक पर्यटक स्थल है, जो शिवपुरी से महज 45 किमी उत्तर की ओर एवं ग्वालियर से दक्षिण की ओर लगभग 110 किमी की दूरी पर स्थित है।


महाभारत में वर्णित निषध देश वर्तमान में नरवर ही है। राजा नल-दमयन्ती की राजधानी के रूप में मध्यकालीन शिलालेखों में नरवर का नाम नलपुर भी मिलता है। ऐतिहासिक रूप से ईसा के पश्चात दूसरी एवं तीसरी शताब्दी में नरवर में नाग राजाओं का शासन रहा। आज भी नरवर में नाग राजाओं के सिक्के तथा अन्य पुरातत्वीय सामग्री बहुतायत में मिलती है। नरवर कछावाहा राजवंश का मूल स्थान (नेटिव प्लेस) था।


सम्पूर्ण भारत में फैले कछवाहा वंशज नरवर से ही विस्थापित हैं। नरवर 12 वीं शताब्दी में जज्पेल्ल वंश के शासनाधीन था जो मालवा का सबसे बडा राजवंश था। भारतीय पौराणिक महाकाव्यों जैसे – महाभारत, वृहदकथामंजरी, नलोपाख्यान और नैषीधीयचरितम् में वर्णित नल-दमयन्ती की कहानी नरवर से जुडी अमर कहानी है। ढोला-मारू की प्रणय कथा भारतीय प्रणय कथाओं की सिरमौर है। ढोला नरवर राज्य का राजकुमार था। महान कृष्णभक्त कर्माबाई, आसकरण, बैजू बावरा और मृगनयनी जैसी विश्व विख्यात विभूतियों का नगर नरवर ऐतिहासिक विरासतों और प्राकृतिक छटाओं का अद्भुत संगम है। भौगोलिक दृष्टि से नरवर 25.38 उत्तरी अक्षांश व 77.55 पूर्वी देशांतर पर स्थित है। नरवर को तीन ओर से इस क्षेत्र की जीवन रेखा, सिंध नदी घेरे हुए है। सिंध की गोद में फलता-फूलता नरवर, प्रकृति के मनोरम सौन्दर्य को अपने में समेटे हुए है।

साभार - bulleteers.com

दूर-दूर तक फैली विध्यांचल पर्वत श्रृंखला नरवर के प्राकृतिक सौन्दर्य में चार चाँद लगाती हैं। विध्यांचल पर्वत की बिल्कुल अंतिम श्रृंखला पर 400 फुट की ऊँचाई पर स्थित नरवर का प्राचीन और ऐतिहासिक महत्व का दुर्ग भारतीय किलों में अग्रणी।
सुबह सूरज के निकले से लेकर, शाम सूरज के डूबने तक प्रकृति यहाँ पहाडों और जंगलों में मनमोहक दृश्य बनाती है। मध्य प्रदेश यदि भारत का हृदय प्रदेश है, तो नरवर उस हृदय प्रदेश के मुकुट ग्वालियर में जड़ा एक जगमगाता हुआ हीरा है।