बुधवार, 17 फ़रवरी 2021

मोहनी सागर बाँध, जिसका लोकार्पण तत्कालीन विदेशमंत्री श्री अटलबिहारी वाजपेयी जी के कर कमलों से हुआ।

मोहनी सागर बाँध नरवर

जिसका भूमिपूजन किया तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी जी ने और लोकार्पण किया तत्कालीन विदेशमंत्री श्री अटलबिहारी वाजपेयी जी ने

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मंगलवार, 16 फ़रवरी 2021

जानिए माता सरस्वती के प्रकाटोत्सव बसन्त पञ्चमी के बारे में सबकुछ

: बसंत पंचमी 2021
: वसंत पंचमी 2021
: Basant Panchami 2021 Muhurat
: वसंत पंचमी 2021 सरस्वती पूजन मुहूर्त
: Vasant Panchami Date
: वसंत पंचमी का महत्व
: Goddess Saraswati Pujan Time
: What Is The Date Of Basant Panchami 2021

What Is The Date Of Basant Panchami 2021- 

माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी

बसंत पंचमी या वसंत पंचमी माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाई जाती है। इसी दिन से भारत में वसंत ऋतु का आरम्भ होता है। इस दिन सरस्वती पूजा भी की जाती है। बसंत पंचमी की पूजा सूर्योदय के बाद और दिन के मध्य भाग से पहले की जाती है। इस समय को पूर्वाह्न भी कहा जाता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, माघ मास शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्यौहार काफी धूमधाम से मनाया जाता है।

इस साल यानि 2021 में बसंत पंचमी 16 फरवरी, दिन मंगलवार की है। शास्त्रों में बसंत पंचमी को ऋषि पंचमी के नाम से भी उल्लेखित किया गया है। इस दिन को होली के शुरुआत का प्रतीक भी माना जाता है, जो कि इसके 40 दिन बाद आती है। वहीं इस दिन को विद्या की देवी माता सरस्वती के प्रकटोत्सव के रूप में भी मनाया जाता हैं। मां सरस्वती के अलावा कई जगह पर इस दिन भगवान विष्णु की पूजा भी की जाती है। इस दिन सभी लोग जो माता सरस्वती की पूजा करते है, वो अपने कलम और किताबों को पूजते है, क्योंकि ये सभी हमें ज्ञान प्राप्त करने में सहयोग करती है।


बसंत पंचमी मुहूर्त्त (Basant Panchmi Sarswati Pujan Muhurat 2021) ...
सरस्वती पूजा मुहूर्त :06:59:11 से 12:35:28 तक
अवधि :5 घंटे 36 मिनट

इस दिन धन की देवी ‘लक्ष्मी’ (जिन्हें श्री भी कहा गया है) और भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है। कुछ लोग देवी लक्ष्मी और देवी सरस्वती की पूजा एक साथ ही करते हैं। सामान्यतः क़ारोबारी या व्यवसायी वर्ग के लोग देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं। लक्ष्मी जी की पूजा के साथ श्री सू्क्त का पाठ करना अत्यंत लाभकारी माना गया है।

षोडशोपचार पूजा संकल्प
ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्रह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे,
अमुकनामसंवत्सरे माघशुक्लपञ्चम्याम् अमुकवासरे अमुकगोत्रः अमुकनामाहं सकलपाप - क्षयपूर्वक - श्रुति -
स्मृत्युक्ताखिल - पुण्यफलोपलब्धये सौभाग्य - सुस्वास्थ्यलाभाय अविहित - काम - रति - प्रवृत्तिरोधाय मम
पत्यौ/पत्न्यां आजीवन - नवनवानुरागाय रति - कामदम्पती षोडशोपचारैः पूजयिष्ये।


यदि पंचमी तिथि दिन के मध्य के बाद शुरू हो रही है तो ऐसी स्थिति में वसंत पंचमी की पूजा अगले दिन की जाएगी। हालांकि यह पूजा अगले दिन उसी स्थिति में होगी जब तिथि का प्रारंभ पहले दिन के मध्य से पहले नहीं हो रहा हो, यानि कि पंचमी तिथि पूर्वाह्नव्यापिनी न हो। बाक़ी सभी परिस्थितियों में पूजा पहले दिन ही होगी। इसी वजह से कभी-कभी पंचांग के अनुसार बसन्त पंचमी चतुर्थी तिथि को भी पड़ जाती है।

माता सरस्वती को वागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। ये विद्या और बुद्धि प्रदाता हैं। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण ये संगीत की देवी भी हैं। माँ सरस्वती की पूजा करने से अज्ञान भी ज्ञान का दीप जलाता हैं। इस दिन लोग अपने घरों में पील रंग के व्यंजन बनाते है, कुछ पीले रंग के चावल बनाते है तो कुछ केसर का उपयोग करते है। आइए जानते हैं 2021 में सरस्वती पूजन का शुभ मुहूर्त, कथा एवं महत्व…

बसंत पंचमी 2021 सरस्वती पूजन मुहूर्त- (Basant Panchmi Muhurat 2021)
पंचमी तिथि प्रारम्भ- 16 फरवरी 2021 को सुबह 3 बजकर 36 मिनट पर
पंचमी तिथि समाप्त- 17 फरवरी 2021 को सुबह 5 बजकर 46 मिनट पर

सरस्वती देवी की पूजा- (Basant Panchmi Ke Din Kyo Ki Jaati Hai Sarswati Puja)
कहा जाता है कि माता सरस्वती (Mata Sarswati) का जन्म ब्रह्मा जी के मुख से हुआ था जो खुद कमल पुष्प पर विराजमान है और उनके हाथो में पुस्तक और दंड रहते है। कथा के अनुसार जब भगवान ब्रह्मा जी ने संसार की उत्त्पत्ति की तो पेड - पौधे एवं सब जीव - जंतु होने के बाद भी यहां पर बहुत शांति थी, तो ये सब देखते हुए भगवान श्री विष्णु जी ने भगवान श्री ब्रह्मा जी से आग्राह किया की प्रभु ऐसे सब ठीक नही लग रहा सब शांत-शांत है, फिर भगवान श्री ब्रह्मा जी ने विष्णु जी की बात को स्वीकार की, फिर महा सरस्वती से माता सरस्वती जी की उत्पत्ति हुई और उसके बाद से ही इस संसार में सबके पास सद्बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति हुई। माता सरस्वती को ज्ञान के साथ साथ साहित्य, संगीत की देवी भी कहा जाता है।

बसंत पंचमी का महत्व
बसंत पंचमी का संबंध ज्ञान और शिक्षा से है। कई लोगों का मानना है कि इस दिन विद्या, कला, विज्ञान, ज्ञान और संगीत की देवी, माता सरस्वती का जन्म हुआ था। अतः इस दिन भक्त सरस्वती पूजा करते हैं, सरस्वती मंत्र का जाप करते हैं और देवी के मंदिरों में जाकर मां सरस्वती की पूजा करते हैं। विद्यार्थी इस दिन अपनी पुस्तक एवं कलम की पूजा करते हैं।

यह त्योहार भारत के अलावा नेपाल और बांग्लादेश जैसे देशों में भी बड़े धूम-धाम से मनया जाता है। बसंत ऋतु में मानो पूरी प्रकृति पीली रंग की चादर से ढक जाती है। खेतों में सरसों का सोना चमकने लगता है। वहीं जौ और गेंहू की बालियां खिलने लगती हैं तो आम के पेड़ों में बौर आ जाती है और चारों ओर रंग बिरंगी तितलियां मंडराने लगती हैं।


विद्यार्थियों को सफल कॅरियर का वर देती हैं मां सरस्वती...
मां सरस्वती की पूजा विद्यार्थियों के लिए बहुत खास है,क्योंकि देवी सरस्वती प्रसन्न हुईं तो विद्यार्थियों का कॅरियर संवर जाता है। पंडित सुनील शर्मा के अनुसार देवी सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए इस दिन पपीते और केले के फल का दान करना चाहिए। इस दिन अपने गुरु से आशीष लेना ना भूलें। उन्हें पीले रंग का कपड़ा दान करें।

विद्यार्थी अपने अध्ययन कक्ष के उत्तर पूर्व दिशा में मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करें। धूप-दीप जलाएं और उन्हें पीले रंग का फूल चढ़ाएं। विद्यार्थियों को चाहिए कि वो मां सरस्वती की प्रतिमा के सामने पीले रंग के कागज पर लाल रंग की कलम से ग्यारह या इक्कीस बार मां सरस्वती का ‘ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः’ मंत्र लिखें। ज्ञान की देवी, माँ सरस्वती को पीला रंग काफी प्रिय है।

साभार : वेब (पत्रिका)