जैसलमेर. स्वर्णनगरी में पर्यटन के लिहाज से सबसे ज्यादा मुफीद माना जाने वाला दिवाली पर्व अब चंद दिन दूर है।
इस मौके पर आमतौर पर गुजराती सैलानियों की धूम जैसलमेर से लेकर सम-खुहड़ी के रेगिस्तान तक बिखरी रहती है। जाहिर है, इस बार भी पर्यटन व्यवसायी पड़ोसी राज्य गुजरात के अहमदाबाद, सूरत, बड़ौदा तथा अन्य शहरों से सैलानियों की आमद को लेकर आशान्वित हैं। इस बीच यह ट्रेंड उभरकर सामने आ रहा है कि दिवाली के मौके पर केवल गुजराती ही नहीं बल्कि देश के सुदूर दक्षिणी राज्यों तक से पर्यटक घूमने के लिए जैसलमेर पहुंचेंगे। दिवाली के अगले दिन से शहर के लगभग सभी तीन और चार सितारा होटलों से लेकर अन्य अच्छी श्रेणी की होटलों में प्री-बुकिंग फुल हो चुकी है। यही आलम सम के प्रतिष्ठित रिसोर्ट के भी हैं। वहां भी दिवाली के अगले रोज यानी 25 अक्टूबर से आगामी करीब 10 दिनों तक टेंट्स लगभग फुल होने की अभी से उम्मीद है। उनके पास भी अच्छी बुकिंग आ रही है। जैसलमेर आने वाले सैलानियों में गुजरात का हिस्सा तो अच्छा खासा रहेगा ही उसके साथ बेंगलुरू, हैदराबाद, चेन्नई जैसे दक्षिणी शहरों के अलावा मुम्बई, दिल्ली, पुणे, लखनऊ, इंदौर, भोपाल, गुड़गांव, मोहाली, अमृतसर आदि पश्चिम व उत्तर भारतीय शहरों के पर्यटक भ्रमण पर आने वाले हैं। आगामी 30 अक्टूबर से विमान सेवा भी शुरू होने जा रही है। इससे लम्बी दूरी वाले स्थानों से सैलानियों की आवक सुगमतापूर्वक हो सकेगी। गुजरात का नया नहीं जैसलमेर कनेक्शन - वैसे देश के सबसे बड़े त्योहार दिवाली के मौके पर गुजरात प्रांत से हजारों की तादाद में पर्यटक जैसलमेर पहुंचते रहे हैं। यह सिलसिला अब करीब डेढ़ दशक पुराना हो चुका है। - जैसलमेर तो हालांकि पश्चिमी सीमा के अंतिम छोर पर है लेकिन गुजरात के अहमदाबाद, मेहसाणा, पालनपुर आदि शहर के नजदीकी पर्यटन स्थल के तौर पर गिना जाता है। - गुजरात के कई हिस्सों से जैसलमेर की संस्कृति भी काफी मिलती-जुलती है। विशेषकर कच्छ क्षेत्र से मरुस्थलीय भूभाग की काफी साम्यता है। - गुजरात में व्यापारी समुदाय दिवाली के अवसर पर पंच दिवसीय छुट्टियां मनाता है। ऐसे में वे लक्ष्मी पूजन करने के बाद प्राय: घूमने के लिए अपने वाहनों में बैठ कर राजस्थान के उदयपुर, माउंट आबू, श्रीनाथद्वारा, कुम्भलगढ़ आदि के साथ जैसलमेर पहुंचना पसंद करते हैं। - जैसलमेर में शांति और सुकून का वातावरण भी गुजराती सैलानियों को स्वभावत: बहुत पसंद आता है। - दिवाली के दूसरे रोज जब स्थानीय समाज गोर्वधन पूजन के बाद रामा-सामा का त्योहार मनाता है, तब गुजराती पर्यटकों का एक तरह से सैलाब स्वर्णनगरी में उमड़ता रहा है। सबसे ज्यादा भीड़ तब सुबह के समय सोनार दुर्ग और शाम में सम के मरुक्षेत्र में दिखाई देती है। सुखद भविष्य का संकेत - पिछले दिनों अक्टूबर के पहले सप्ताह में एक साथ कई सरकारी छुट्टियां आने के दौरान अच्छी संख्या में देश के दक्षिणी व पश्चिमी राज्यों से पर्यटक जैसलमेर घूमने आए। - कुछ साल पहले जैसलमेर आने वाले अधिकांश देशी सैलानी राजस्थान, गुजरात और पश्चिम बंगाल के निवासी हुआ करते थे। - अब यह सिलसिला आगे बढ़ा है। इसमें दिल्ली, मुम्बई के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, हरियाणा व पंजाब के साथ कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु व केरल तक से पर्यटक यहां आना शुरू हुए हैं। - पर्यटन क्षेत्र के जानकार मानते हैं कि विशाल भारत देश के अलग-अलग भागों से पर्यटकों के आगमन का मतलब यही है कि जैसलमेर में वर्ष पर्यंत पर्यटन की संभावनाओं को बल मिल रहा है।
(साभार : पत्रिका, राजस्थान)
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