नरवर दुर्ग, 'गिरि दुर्ग' की श्रेणी में आता है। भारत के उत्तर से दक्षिण जाने के मार्ग में नरवर प्रमुख पड़ाव होने से हर समकालीन शासक ने सुरक्षा की दृष्टि से इस पर आधिपत्य करने का प्रयास किया।
नरवर दुर्ग से नरवर नगर का प्राकृतिक शौन्दर्य देखते ही बनता है। यहाँ सरसराती हवा शरीर से लिपट जाती है, जिसका अहसास वर्षों तक पर्यटक को नरवर नगर से जोड़े रहता है।
दूर दूर तक फैली हरियाली और पहाड़ो पर जाकर नज़र ठहर जाती है। दुर्ग के नीचे नगर नरवर में अनेक इतिहासिक स्थाल, देवालय, तालाब आदि अन्य पुरातत्व स्थल भी पर्यटको आकर्षित करते है।
दो हज़ार वर्ष से भी अधिक प्राचीन विरासत को समेटे इस नगर ने अनेंक संघर्ष देखे है। इसके जर्रे जर्रे में अनेकों लोकगाथायें, किंवदंतियाँ और दंत कथाएँ छिपी है।
विंध्य पर्वत श्रृंखलाओं एवं सिंध नदी से प्राकृतिक सुरक्षा प्राप्त यह नगर सिंध का वरदान है । सिंध नदी इसे तीन ओर से घेरे हुए है। इस पर बने मड़ीखेड़ा अटल सागर बाँध एवं मोहानी पिकअप बियर से इस क्षेत्र में सिंचाई एवं जल विद्युत उत्पादन हो रहा है।
बरसात में नरवर क्षेत्र का शौन्दर्य देखते ही बनता है। यदि आप बर्षा ऋतु का आनंद लेना चाहते है तो एक बार नरवर और मड़ीखेड़ा जरूर जाएं इस आनंद को आप विस्मृत नही कर पायेंगे।
- श्री रूपेश उपाध्याय जी
(राज्य प्रशासनिक सेवा अधिकारी)