मध्यप्रदेश: भारत का हृदय और 10 अद्वितीय पर्यटक स्थल
मध्यप्रदेश, जिसे भारत का हृदय प्रदेश भी कहा जाता है, अपने ऐतिहासिक, प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है। यहां के अद्वितीय पर्यटक स्थल आपको भारत की समृद्ध विरासत और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक दिखाते हैं। आइए जानते हैं मध्यप्रदेश के 10 प्रमुख पर्यटक स्थलों के बारे में विस्तार से:
1. नरवर किला
नरवर किला शिवपुरी जिले में स्थित है और इसका ऐतिहासिक और स्थापत्य महत्व बहुत अधिक है। यह किला प्राचीन भारतीय योद्धाओं और राजाओं की वीरता का प्रतीक है। किले के अंदर विभिन्न मंदिर, महल और जलाशय हैं, जो इसके गौरवशाली अतीत की कहानी बयां करते हैं।नरवर के प्राचीन किले का एरियल व्यू |
नजदीकी रेलवे स्टेशन: शिवपुरी रेलवे स्टेशन (लगभग 42 किमी)
सड़क मार्ग: नरवर तक सड़क मार्ग द्वारा ग्वालियर और शिवपुरी से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
2. खजुराहो
खजुराहो अपने अद्भुत और सुन्दर मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है, जो यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल हैं। यहाँ के मंदिर अपनी उत्कृष्ट शिल्पकला और कामुक मूर्तियों के लिए विख्यात हैं। खासकर कंदारिया महादेव मंदिर और लक्ष्मण मंदिर दर्शनीय हैं।
कैसे पहुँचें:
नजदीकी रेलवे स्टेशन: खजुराहो रेलवे स्टेशन
सड़क मार्ग: खजुराहो तक सड़क मार्ग द्वारा छतरपुर और सतना से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
सांची का स्तूप, जिसे मौर्य सम्राट अशोक ने बनवाया था, बौद्ध धर्म का एक प्रमुख केन्द्र है। यहां की अद्भुत वास्तुकला और इतिहास प्रेमियों के लिए यह स्थान एक स्वर्ग के समान है। स्तूप के तोरण द्वार और शिलालेख इसकी खासियत हैं।
कैसे पहुँचें:
नजदीकी रेलवे स्टेशन: सांची रेलवे स्टेशन
सड़क मार्ग: भोपाल से सांची तक सड़क मार्ग द्वारा लगभग 46 किमी की दूरी पर।
मध्यप्रदेश का इकलौता हिल स्टेशन पचमढ़ी अपने हरियाली, झरनों और गुफाओं के लिए प्रसिद्ध है। सतपुड़ा की रानी कहलाने वाला यह स्थान शांत वातावरण और प्राकृतिक सौंदर्य का अनोखा अनुभव प्रदान करता है।
कैसे पहुँचें:
नजदीकी रेलवे स्टेशन: पिपरिया रेलवे स्टेशन (लगभग 50 किमी)
सड़क मार्ग: भोपाल और नागपुर से पचमढ़ी तक सीधी बस या टैक्सी उपलब्ध है।
भेड़ाघाट, जबलपुर के पास स्थित, अपनी संगमरमर की चट्टानों और धुआंधार जलप्रपात के लिए प्रसिद्ध है। यहां की चट्टानों के बीच नाव की सवारी करना अद्भुत अनुभव प्रदान करता है। रात्रिकालीन चांदनी में यह स्थान और भी रमणीय लगता है।
कैसे पहुँचें:
नजदीकी रेलवे स्टेशन: जबलपुर रेलवे स्टेशन (लगभग 25 किमी)
सड़क मार्ग: जबलपुर से भेड़ाघाट तक टैक्सी और बस द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
उज्जैन, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का निवास स्थान है और यह शहर भारत के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है। यहां कुंभ मेले का आयोजन होता है और कालिदास के महाकाव्य "मेघदूत" से इसका गहरा संबंध है।
कैसे पहुँचें:
नजदीकी रेलवे स्टेशन: उज्जैन जंक्शन
सड़क मार्ग: इंदौर और भोपाल से सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
ग्वालियर अपने ऐतिहासिक किले और संगीत प्रेमियों के लिए प्रसिद्ध है। ग्वालियर किला, जिसे "भारत का जिब्राल्टर" कहा जाता है, अपनी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा, तानसेन का मकबरा संगीत प्रेमियों के लिए विशेष आकर्षण है।
कैसे पहुँचें:
नजदीकी रेलवे स्टेशन: ग्वालियर जंक्शन
सड़क मार्ग: दिल्ली और आगरा से सड़क मार्ग द्वारा ग्वालियर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।
ओरछा, बेतवा नदी के किनारे स्थित, अपने महलों और मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यहां का राजमहल, जहांगीर महल और राम राजा मंदिर प्रमुख आकर्षण हैं। यह स्थान इतिहास और स्थापत्य कला प्रेमियों के लिए आदर्श है।
कैसे पहुँचें:
नजदीकी रेलवे स्टेशन: झांसी रेलवे स्टेशन (लगभग 16 किमी)
सड़क मार्ग: झांसी से ओरछा तक टैक्सी या बस द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान भारत के सबसे सुंदर और व्यवस्थित राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है। यह स्थान बाघ, बारहसिंघा और अन्य वन्य जीवों को देखने के लिए आदर्श है। रुडयार्ड किपलिंग की "जंगल बुक" की प्रेरणा भी यहीं से ली गई थी।
कैसे पहुँचें:
नजदीकी रेलवे स्टेशन: जबलपुर रेलवे स्टेशन (लगभग 165 किमी)
सड़क मार्ग: जबलपुर और मंडला से कान्हा तक सीधी बसें और टैक्सियां उपलब्ध हैं।
मांडू, अपने रोमांटिक इतिहास और अद्वितीय स्थापत्य कला के लिए जाना जाता है। यहां का जहाज महल, हिंडोला महल और रानी रूपमती महल देखने लायक हैं। मानसून के दौरान मांडू का सौंदर्य और भी निखर जाता है।
कैसे पहुँचें:
नजदीकी रेलवे स्टेशन: रतलाम रेलवे स्टेशन (लगभग 124 किमी)
सड़क मार्ग: इंदौर और धार से मांडू तक सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
भीमबेटका की गुफाएं, यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल हैं और यह स्थान प्रागैतिहासिक समय की चित्रकला के लिए प्रसिद्ध है। यहां की गुफाएं प्राचीन मानव जीवन और उनकी कला का अद्भुत प्रमाण हैं।
कैसे पहुँचें:
नजदीकी रेलवे स्टेशन: भोपाल रेलवे स्टेशन (लगभग 45 किमी)
सड़क मार्ग: भोपाल से भीमबेटका तक सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
मध्यप्रदेश में ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहरों का एक अद्वितीय मिश्रण है। यहां का प्रत्येक स्थान अपने आप में अनूठा और दर्शनीय है। यदि आप इतिहास, संस्कृति और प्रकृति के प्रेमी हैं, तो मध्यप्रदेश आपकी यात्रा सूची में अवश्य होना चाहिए।
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