भारतीय शास्त्रीय संगीत के विश्व प्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद ज़ाकिर हुसैन का निधन
15 दिसंबर 2024 - विश्व प्रसिद्ध तबला वादक और पद्म विभूषण सम्मानित उस्ताद जाकिर हुसैन का 73 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके परिवार ने पुष्टि की है कि उनका निधन इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस की जटिलताओं के कारण हुआ, जिसके बाद उन्हें दो सप्ताह पहले अस्पताल में भर्ती किया गया था और बाद में आईसीयू में ले जाया गया।
जाकिर हुसैन, जो मशहूर तबला वादक उस्ताद अल्ला रक्खा के बेटे थे, ने अपने जीवन के प्रारंभिक दिनों से ही तबले की कला में अपार प्रतिभा दिखाई थी। उनका जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था। एक किशोर की उम्र में ही वे प्रसिद्ध हो गए थे, और समय के साथ वे वैश्विक स्तर पर भारतीय शास्त्रीय संगीत के राजदूत बन गए। उन्होंने अपनी कला के माध्यम से दुनिया को भारत की समृद्ध संगीत परंपरा से परिचित कराया।
उनका करियर उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिसमें तीन ग्रैमी अवार्ड, पद्म श्री (1988), पद्म भूषण (2002), और पद्म विभूषण (2023) शामिल हैं। उनके संगीत ने भारतीय और पश्चिमी संगीत के बीच एक अनोखा संयोजन प्रस्तुत किया, जिसमें 'शक्ति' बैंड के साथ जॉन मैकलॉफ्लिन के साथ सहयोग और 'प्लैनेट ड्रम' परियोजना के साथ मिकी हार्ट के साथ कार्य शामिल है।
सोशल मीडिया पर शोक संदेशों की बाढ़ आ गई, जिसमें राजनेता, उद्योगपति, खेल व्यक्तित्व और फिल्मी सितारे शामिल हैं। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा, "महान तबला वादक उ. जाकिर हुसैन जी के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। उनका जाना संगीत जगत के लिए एक बड़ा नुकसान है।" इसके अलावा, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने उनके योगदान को याद करते हुए कहा, "तबले की लय के साथ उन्होंने भारत को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई।"
जाकिर हुसैन की विरासत को उनके असंख्य प्रशंसकों और सहयोगियों द्वारा हमेशा याद किया जाएगा। उन्होंने अपने पीछे अपने परिवार को छोड़ दिया है, जिसमें उनकी पत्नी अन्टोनिया मिन्नेकोला और दो बेटियाँ अनीसा और इसाबेला शामिल हैं। उनका संगीत और उनकी शिक्षा अभी भी दुनिया भर के संगीतकारों को प्रेरित कर रही है।
उनके जाने के साथ, भारतीय संगीत जगत ने न केवल एक महान कलाकार खोया है, बल्कि एक ऐसी विभूति जिसने अपने विनम्र और मिलनसार स्वभाव से सभी के दिलों में जगह बनाई। उनका संगीत हमेशा भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक हिस्सा रहेगा।
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